करिश्मा------
ए मेरी जिंदगी,
तूने क्यों इतनी देर लगाई ,
कब से इन्तजार था तेरा,
तू अब आई तू अब आई ,
कभी कभी बस दूर से ही,
तूने अपनी झलक दिखाई,
क्यों मेहरबां न हुई पहले ,
क्यों बनी रही बस परछाई,
मैं भागती रही तेरे पीछे,
पर तू मेरे हाथ न आयी,
कितनी हसीन और पुरकशिश है तू,
मैं हरदम ही तुझको ललचाई,
क्यों नाराज रही तू मुझसे,
मैंने तो तुझसे प्रीत लगाईं,
जितना और जो भी दिया तूने ,
एहसान समझ कर के अपनाई,
तू नेमत है,तू रहमत है,
तू करसाज़,
तू करिश्माई,
शिद्दत से महसूस हुई तू,
जब जब तू खुशियाँ लाई!
शब्द अर्थ--रहमत--प्रभु की अनुकम्पा,पुरकशिश--आकर्षक,कारसाज़--चमत्कारी,शिद्दत-बेताबी से
ए मेरी जिंदगी,
तूने क्यों इतनी देर लगाई ,
कब से इन्तजार था तेरा,
तू अब आई तू अब आई ,
कभी कभी बस दूर से ही,
तूने अपनी झलक दिखाई,
क्यों मेहरबां न हुई पहले ,
क्यों बनी रही बस परछाई,
मैं भागती रही तेरे पीछे,
पर तू मेरे हाथ न आयी,
कितनी हसीन और पुरकशिश है तू,
मैं हरदम ही तुझको ललचाई,
क्यों नाराज रही तू मुझसे,
मैंने तो तुझसे प्रीत लगाईं,
जितना और जो भी दिया तूने ,
एहसान समझ कर के अपनाई,
तू नेमत है,तू रहमत है,
तू करसाज़,
तू करिश्माई,
शिद्दत से महसूस हुई तू,
जब जब तू खुशियाँ लाई!
शब्द अर्थ--रहमत--प्रभु की अनुकम्पा,पुरकशिश--आकर्षक,कारसाज़--चमत्कारी,शिद्दत-बेताबी से
Beautiful.
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